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कौन है ‘ये दिल मांगे मोर’ का नारा देने वाले परमवीर कैप्टन विक्रम बत्रा?

Opinion

सितम्बर १९७४ में पैदा हुए विक्रम बत्रा भविष्य में राष्ट्र के लिए एक उदाहरण होंगे ये शायद ही किसी ने सोचा हो पर उनका जीवन कुछ ऐसा विशेष रहा कि आज भी उनकी बात और जज्बा ऊर्जा का श्रोत बना हुआ है।

कारगिल वार के दौरान तैनात कैप्टन विक्रम बत्रा ने ना सिर्फ अपने शौर्य का परिचय दिया बल्कि बहुत सारे ऐसे उत्साहवर्धक शब्द भी कहें जिसका आज भी गर्व के साथ जिक्र होता है।

कारगिल के पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में मुख्य भूमिका निभाने वाला जोश से भरा और सबका चहेता परमवीर चक्र प्राप्त करने वाला आखिरी आर्मी मैन।

वो व्यक्ति जिसने मरने से पहले अपने बहुत से साथियों को बचाया और जिसके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता तो इंडियन आर्मी का लीडर बना होता।

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उनके कुछ मुख्य वकतव्य इस प्रकार है-

१. तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं’

जूलाई १९९९ में एक साथी अफसर के घायल हो जाने पर उन्होंने उस अफसर को बचाते हुए यह बात कहीं थी।

२.  ‘ये दिल मांगे मोर’

मिशन के सफल होने पर अक्सर वह इस वाक्य को दोहराया करते थे।

३. ‘या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा. पर मैं आऊंगा जरूर.’।

उनके साथी आज भी उनकी बहादुरी याद करते है और कहा करते है कि वह खुद से पहले साथियों की सुरक्षा का ध्यान रखते थे।

कैप्टन बत्रा की बहादुरी के किस्से सिर्फ भारत में ही नहीं सुनाए जाते बल्कि पाकिस्तान में भी सुने सुनाए जाते है और यहाँ तक कि पाकिस्तानी आर्मी उन्हें शेरशाह कहा करती थी।

शौर्य, पराक्रम ,प्रेरणा के पर्याय परमवीर कैप्टन विक्रम बत्रा की देश की रक्षा करते हुए कारगिल में दिखाए अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए यह राष्ट्र युगों-युगों तक आपका ऋणी रहेगा।