जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 से आजादी की वर्षगांठ पर हर घर में लहराएगा तिरंगा

Opinion

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने का एक साल पूरा होने पर राज्य के सम्पूर्ण राष्ट्रवादी समाज ने वर्षों की गुलामी से मिली आजादी को हर्षोंल्लास के साथ मनाने का संकल्प लिया है।इस दिन समाज अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहराकर और शाम को दीपक जलाकर वर्षों बाद जम्मू-कश्मीर को 370 व 35ए से मिली आजादी की वर्षगांठ बनायेगा।जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी समाज की हत्याओं व स्थानीय पुलिस के साथ देश के हजारों सुरक्षाबलों की कुर्बानियों का मुख्य कारण बने अनुच्छेद 370 व 35ए को देश की वर्तमान सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन कर इसे दो भागों में बांट दिया। जम्मू-कश्मीर को विधानसभा सहित केन्द्र शासित प्रदेश और लद्दाख को पूर्ण रूप से केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। 5 अगस्त, 2020 को इसे हटाए जाने की वर्षगांठ है जिसे जम्मू-कश्मीर के सम्पूर्ण राष्ट्रवादी समाज ने एक वर्ष पहले वर्षों की गुलामी से मिली आजादी के रूप में हर्षोंल्लास के साथ मनाने का संकल्प लिया है। इस दिन समाज अपने-अपने घरों में तिरंगा फहरायेगा और सायं को दीपक जलाकर वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर को 370 व 35ए से मिली आजादी की वर्षगांठ बनायेगा।

विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक पार्टियों ने इस अवसर पर साप्ताहिक व पाक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू कर दिया है। इनमें 31 जलाई से शुरू हुए कार्यक्रमों में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीदों, जम्मू-कश्मीर की सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों, सुरक्षाबलों, पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके साथ ही पश्चिमी पाक से आये हुए शरणार्थियों, गोरखा समाज और वाल्मीकी समाज को 70 सालों के बाद मिले न्याय पर चर्चा व संगोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा। पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाली भारतीय भूमि को वापस लेने का संकल्प, अपने-अपने घरों, कार्यालयों, मोहल्लों व प्रतिष्ठानों में तिरंगा फहराने और रात को दीपक जलाये जाने के कार्यक्रम शामिल हैं।भावी पीढ़ियों से आह्वान किया गया है कि वो अपने पूर्वजों की भांति राष्ट्र की एकता और अखण्डता को बनाये रखने के लिए प्रत्येक प्रकार के बलिदान के लिए तैयार रहें। समानांतर प्रशासन में सक्रिय ऐसी राष्ट्रविरोधी शक्तियों को आगह करना है कि अब जम्मू-कश्मीर का राष्ट्र भक्त समाज 73 वर्षों तक हुए सब प्रकार के भेदभाव व देशद्रोह को सहन नहीं करेगा। समाज को यह भी बताया जायेगा कि वर्तमान केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाने के लिए इससे पूर्व ही बड़े फैसले लेना शुरू कर दिया था। आतंकवाद व अलगाववाद की कमर तोड़ने वाला पहला कदम नोटबंदी, दूसरा जमाते इस्लामी पर प्रतिबंध, तीसरा आतंकियों व उनके सहयोगियों का सफाया, पाक के प्रति कड़ा रूख और उसे उसकी हर हरकत का करारा जबाव, देश भक्त समाज को बढ़ावा जैसे ऐसे कई कदम उठाए गए।

केंद्र सरकार की आतंकवाद व अलगावाद के खिलाफ बेहद सख्ती बरतने की नीति का अच्छा प्रभाव अनुच्छेद 370 की समाप्ति के एक वर्ष बाद स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। विकास कार्यों के साथ-साथ वर्षों से जम्मू-कश्मीर की नागरिकता से वंचित रहे लोगों, जम्मू-कश्मीर के विकास कार्यों में योगदान दे रहे बाहरी राज्यों के मजदूरों व देशहित में जम्मू-कश्मीर में बलिदान देने वाले सुरक्षाबलों के परिवारों, केन्द्रीय संस्थानों व सुरक्षाबलों एजेंसियों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में सेवा दे रहे देश के अन्य राज्यों के लोगों के चेहरे पर नई मुस्कान व उत्साह देखने को मिल रहा है।आतंकवाद का खात्मा जम्मू-कश्मीर में शांति व बेहतरी की पहली शर्त है और निस्संदेह अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद घाटी में आतंकवादियों का नेटवर्क तबाह हो गया है। अलगाववादियों को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। यही वजह है कि घाटी में कश्मीरियों की तीन पीढ़ियों को अलगाववाद के नाम पर बर्बाद करने वाले 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी भी 29 जून को हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनका अब कहना है कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद अब कश्मीर में अलगाववाद के आंदोलन को तवज्जो देने को कोई कश्मीरी तैयार नहीं है। आतंकवाद और अलगाववाद की कमर तोड़ना जम्मू-कश्मीर की शांति के लिए सबसे जरूरी था और इस काम में भारत की सरकार, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस पूरे तरीके से सफल रही है।