अभी कुछ ही दिन हुए दिल्ली के एक परिवार द्वारा LNJP अस्पताल को लापरवाही और संवेदनहीनता से हुई मृत्यु पर घेरते और इसका असर दिखना शुरू हो गया है। हाल ही में देखा जा रहा कि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह अपनी छवि सुधारने में लग गया है और बहा रहा है रोजाना पैसे खबर के माध्यम से हीरो बने रहने के लिए जिससे लोगों का भरोसा जीत सके और छुपा सके अपनी नाकामी और निंदनीय कृत्य।
कुछ ही दिन पहले LNJP ने अखबार के माध्यम से सूर्खियां बटोरी की कैसे वह वरदान बनकर इस महामारी में लोगों की जान बचा रहा जिसमें प्लाज्मा थेरेपी का भी उल्लेख है। इस पूरी खबर में अस्पताल प्रशासन अपनी पीठ थपथपाता नज़र आ रहा कि कैसे पूरा स्टाफ दिन रात लगा है सेवा में मरीजों की पर सच्चाई इससे एकदम उलट है और इस पूरे दावे की पोल खोलती है जो अस्पताल छुपा रहा है और रोज नए तरीके से अपनी सच्चाई को झूठे पुलिंदे के नीचे दबा रहा।
जहाँ एक तरफ बेहतरीन व्यवस्था का दावा हो रहा पर सच तो यह है कि दिल्ली में रह रहे लोग जो कोरोना काल में LNJP में भर्ती हुए उनमें से 60 प्रतिशत लोग आज जीवित नहीं है और इस खबर को आज कोई भी कवर नहीं करता क्योंकि अस्पताल प्रशासन अपनी छवि के प्रति चिंतित है ना कि व्यक्ति की जान बचाने को।
दिल्ली के रहने वाले शैलेंद्र शर्मा भी आजतक कानूनी प्रक्रिया के तहत इसी अस्पताल को आइना दिखाने का प्रयास कर रहे जिसने उनसे उनके स्वस्थ पिता छीन लिए सिर्फ अपने गैरजिम्मेदार व्यवस्था और अमानवीयता के कारण और उनसे जुड़ा कोई भी व्यक्ति उनसे जुड़े तथ्यों से परिचित है तो वह शायद इन दावों को देख सिर्फ यही सोचता होगा कि काश सच यही होता कि अस्पताल प्रशासन के दावे सच हो पर अफ़सोस यह सिर्फ अपनी छवि की फिक्र है जो आज एक सरकारी अस्पताल खबर के माध्यम से खुद को महान बता रहा।
साथ ही यह सच है कि अस्पताल की ऐसी कहानी तब नहीं टिकती जब कोई सामने से आकर इस नकाब को तथ्यों से काउंटर करता है और दिखाता है वो आइना जो लज्जित करता है उनको जो अपने कृत्यों पर ना शर्म करते है ना अफसोस जो फिलहाल देखा जा सकता है जहा परिवार की हिम्मत के आगे अस्पताल हारता और छुपता फिर रहा