ऐसा भला हो सकता है कि , किसी भी अच्छी बुरी , खरी खोटी कोई भी कैसी भी खबर यदि भाजपा से जुड़ी है और ऊपर से भाजपा की लोकप्रियता को और बढ़ाने वाली है तो बाय डिफ़ॉल्ट कुछ लोगों के सिस्टम में विरोध वाला वायरस जाग उठता है। विरोध करना कई बार उन बातों के निर्धारण से पहले ही निर्धारित हो चुका होता है जिन्हें तय किया जाना शेष होता है। नागरिकता संशोधन क़ानून – एक वर्ष हो गए लागू हुए। मजाल है जो एक भी भारतीय मुगल पर इस क़ानून का रत्ती भर प्रभाव पड़ा हो ?? मगर आशंकाओं अंदाज़ों का डर दिखा कर कुछ लोगों की कुंठाओं को बाहर आने का मौक़ा जरूर मिल जाता है।
क्या सचमुच ही समझ में नहीं आ रहा है कि ये सरकार जिस नीयत और जिस प्रतिबद्धता का भार उठाए दूसरी बार शासन में आई है अब ये चाहे भी तो उससे अलग और विलग नहीं हो सकती। विश्व कोरोना महामारी से जब जूझना शुरू हुआ था तब इस देश की तरह ही पूरी दुनिया एक दवाई के लिए याचक बन कर खड़े हो गए थे। ये नेतृत्व पर आम लोगों का भरोसा ही था कि इतने बड़े आपदा के अवसर को सामने से धैर्यपूर्वक सहने और उबरने में भारत विश्व के अन्य बहुत सारे देशों से बेहतर स्थति में रहा। याद रहे कि सिर्फ डेंगू और मलेरिया से ही कई बार हज़ारों जानों को नहीं बचा पाए हैं हम।
अब जब वैश्विक संस्थाएं और भारत भी इस महामारी के तोड़ के रूप में वैक्सीन को लेकर आए हैं और न सिर्फ यहां देश में उपलभ्द करवाया है बल्कि पूरे देश के नागरिकों को यह टीका निःशुल्क लगाया जाएगा। लेकिन कमाल देखिये देश की राजनीति का। सोचिए इस देश में आकर कोरोना अपने टीका तक में भाजपा कांग्रेस और सपा बसपा होता देख कर कबका जलालत से मर गया होगा ? कोरोना की इससे ज्यादा बेइज्जती और किसी में हुई हो ऐसा देखने सुनने में नहीं मिलता।