जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग को सही और हिन्दुओं के भावनाओं से खिलवाड़ करती “तांडव”

Opinion

अली जाफर की तांडव वेब सीरीज अमेज़न प्राइम पे रिलीज हो चुकी है और इसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा को भी एक अलग एंगल से दिखाया गया है। वेब सीरीज में भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले गैंग का महिमा मंडन किया गया है। इसमें पूरी मंशा के साथ आजादी आजादी के नारे लगवाते समय धीरे से मनुवाद और ब्राह्मणवाद से आजादी के नारे भी मंशापूर्ण ढंग से लगवाए जाते हैं।

आज पूरा विश्व और हिन्दू समाज मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को उत्कृष्ट मानते हुए उनके भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रगतिशील है। भारत वह देश हैं जहां पिता की आज्ञा पालन के लिए भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास हर्ष के साथ स्वीकार कर लेते हैं तो वहीं जफर जैसे कुछ निर्देशक मुगलों और तुर्कों की सत्ता लोलुपता के लिए पिता की हत्या को हिन्दू समाज के माथे पर आरोपित करने का प्रयास करते नजर आते हैं। हिन्दू समाज में वीर शिवाजी, महारणा प्रताप जैसे प्रतापी वीर हुआ करते हैं जो लालच तो दूर अपनी आन के लिए भी अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते।

तांडव वेब सीरीज हिन्दू धर्म के प्रति घृणा भरने का एक कुत्सित प्रयास भर नजर आता है। वेब सीरीज में सवर्ण-दलित, हिन्दू-मुसलमान, क्षेत्रवाद, अर्बन नक्सलवाद जैसे प्रोपेगैंडा को चलाने का प्रयास भी किया गया है। वेब सीरीज में भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले गैंग का भी महिमा मंडन किया गया है। इसमें पूरी मंशा के साथ आजादी आजादी के नारे लगवाते समय धीरे से मनुवाद और ब्राह्मणवाद से आजादी के नारे भी मंशापूर्ण ढंग से लगवाए जाते हैं। वेब सीरीज के ही एक पात्र ने वामपंथियों की मनगढ़ंत कहानी ‘सदियों से अत्याचार’ को प्रमाणित करने का असफल प्रयास भी किया।

पूरी तांडव वेब सीरीज में घृणा का जहर और हिंदुओं के बीच दीवार खींचने का एक प्रयास भर है। भारत में लगभग हर वेब सीरीज हिन्दू धर्म और उनके आराध्यों को निशाना बनाकर बनाई जाती है। कुत्सित मानसिकता, वैमनस्यता और घृणा फैलाने का प्रयास अब नही चलेगा।