दिल्ली – डाक्टरी की राह छोड़ने वाले मिस्टर लिट्टीवाला की कहानी

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कोयले पर सेंकी गई गोल गोल आटे की लोई जब घी में डूबोकर थाली में परोसी जाती है तो इसका जायका मन को तृप्त कर देता है।

बिहार के एक छोटे से गाँव से निकलकर जब लिट्टी दिल्ली पहुंची तो हर किसी के दिल को ऐसी भा गई कि हर दिल अजीज़ हो गयी फिर वो चौक चौराहा हो या फाइव स्टार होटल हर कोई इस व्यंजन का मुरीद है। लिट्टी चोखा की यही लोकप्रियता देवेंद्र सिंह को ऐसी भाई कि उन्होंने इसको ही अपना रास्ता बना लिया और खोल ली इसकी ही दुकान जिसके स्वाद ने इनको मिस्टर लिट्टी वाले बना दिया।

अब हालात तो ये है कि चाहे फूड फेस्टिवल हो या कोई फेयर हर जगह इनका फूड स्टाल दिख ही जाता है वो भी पूरी भीड़ के साथ और विदेशी पर्यटक तो इनको प्यार से साहब औथेंन्टिक बुलाते है।देवेंद्र बताते है कि वह स्वाद और खालिस बिहारीपन से समझौता नहीं करते इसलिए आज भी सत्तू बिहार से ही मंगवाते है और इसको बनाने का तरीका भी वही इस्तेमाल करते है जो कोयले की आंच पर सेंकना है। इसका ही नतीजा है कि आज के समय दिल्ली में इनकी चार – चार दुकानें पूरे जोर शोर से चल रही है।

देवेंद्र मूल रूप से छपरा के रहने वाले है और एक समय मेडिकल क्षेत्र में जाने की ओर प्रयासरत थे और उनका चयन भी हुआ पर किस्मत का चक्का ऐसा घुमा कि होटल मैनेजमेंट कि ओर चल दिए फिर वहां पर बहुत सारी नामी होटलों में काम किया और बढ़ते गए पर अचानक ही उनकी रफ्तार तब रुकी जब एक होटल में खाना खाते वक्त उनको मीनू में लिट्टी चोखा नहीं दिखा और तब उन्होंने तय किया की बिहार के इस व्यंजन को वो आगे जरूर लाऐंगें। इस विचार के साथ ही दिल्ली स्थित लक्ष्मी नगर में अपने दम पर आउटलेट खोला और आज के समय में सफलता के आसमान पर अंकित है और ऐसे भी कहते ही है कि जहां चाह वहां राह और इसी को साकार किया है देवेंद्र सिंह ने और बन चुके है एक नाम शहर की भीड़ में भी जो सबके लिए प्रेरणादायक है|