आजाद भारत का सबसे विवादित मुद्दा आरक्षण आखिर क्या है इसका समाधान?

Opinion

आजाद भारत के बाद से ये सबसे विवादित मुद्दा रहा है। राममंदिर, 370, आरक्षण। हिन्दुओं के एक समाज को कमजोर पिछड़ा बताया गया और उन्हें बेहिसाब सरकारी सुविधा दे दी गई। शुरआत नौकरी से थी उसके बाद राशन, योजना, घर , कॉलेज, छात्रवृत्ति हर जगह बस सुविधा ही सुविधा।

हम आरक्षण के बारे में बात करें उसके पहले अपने प्यारे वामपंथियो के बारे में बात करेंगे। ये वामपंथी हमेशा एक सिद्धांत से चलते हैं ‘ oppressor – oppressed binary ‘ । अगर आपको कोई भी शांतिपूर्ण जगह संघर्ष करवाना है तो इसका उपयोग किया जा सकता है।

इस सिद्धान्त में आपको एक वर्ग को शोषित बताना होता है और एक वर्ग को अत्याचारी। कैसे भी करके आप ये सिद्ध कर दें और यही लगातार करते रहे तो बाकी लड़ाई तो अपने आप ही हो जाती है।

याद करिए वामपंथियो ने इतिहास में क्या क्या लिखा है?? आर्यन बाहर से थे। बुद्ध , जैन जैसे धर्म ब्राह्मणों के अत्याचार से बने । उसके साथ ही फिल्में कैसी बनती थी? एक अमीर ठाकुर जुल्म कर रहा। कूल मिला के इन लोगो के एक वर्ग को अत्याचारी और एक वर्ग को शोषित सिद्ध कर हीं दिया। बस यही चला आ रहा इतने साल से।

जो लोग सनातन धर्म को अपशब्द कहते रहते हैं उन्हें पता होना चाहिए भारत सोने की चिड़िया सिर्फ इसी धर्म की वजह से था। सनातन धर्म में काम के हिसाब से लोगो का समाज बना हुआ था। ब्राह्मण, छत्रिय, बनिया, तेली, अहीर, सोनी, धोबी, बढ़ई, नाऊ जैसे बहुत समाज थे जो अपना अपना काम करते थे। इसी वजह से रोजगार की समस्या नहीं थी। सबको अपना काम मिल जाता और गुजर बसर हो जाता।

वामपंथियो ने सैकड़ों जातियों का एक समूह बनाया और उसे दलित नाम दिया। और फिर बताया गया की इन ब्राह्मणों ने अत्याचार किया है । हो गया ना ‘ऑप्रेसर ऑप्रैसेड बाइनरी’?

सच्चाई तो ये है कि ये मुफ्त की स्कीम, फ्री सामान, सिर्फ जाति के आधार पर छात्रवृत्ति ने देश को तोड़ा हैं और हिन्दू धर्म को भी। इसी का फायदा उठा के जाति की राजनीति हुई और मुसलमानो को फायदा मिला। आज के समय में मुसलमान एक वोट बैंक है और हिन्दू टैक्स भरने वाला।

नेताओं की बात में आकर सब ने अपना काम छोड़ सिया और लगे आरक्षण के लिए एक पार्टी से दूसरे पार्टी का झंडा लेने। दिन भर लाठी, गाली खा के कौन सी जिंदगी जी लिए सब? आप अपना काम छोड़ कर आईएएस की तैयारी करके आज बेरोजगार बैठे हैं और आपके काम पर किसी और ‘ समुदाय विशेष ‘ का कब्ज़ा है? ये बात कब समझने हिन्दू? हेयर ड्रेसिंग बिजनेस इसका एक उदाहरण है।

आरक्षण की वजह से देश में ना कोई तकनीक है, ना कुछ है। राफेल, अपाचे, टैंक, तोप सब बाहर से ही तो आ रहा। यहां जिसको जिस क्षेत्र में होना चाहिए था वो आरक्षण की वजह से नहीं हो पाया। जिसको कुछ नहीं आता था वो उसकी जगह हो गया। और उसकी देखा देखी सबमें अपना पुश्तैनी काम छोड़ आरक्षण के लिए कूद गए।

क्या ऐसे देश चलता है और क्या ऐसे ही देश आगे चलेगा ?

अब समय है आरक्षण पर साफ साफ बहस हो और जरूरी करवाई हो। दलित के नाम पर राजनीति करने वाले सब 20-20 गाड़ी से घूम रहे। और दलित क्या पूरा हिन्दू ही बेरोजगार चल रहा। आईएएस की 800 सीट ही आती है। सब नहीं बन जाएंगे। सरकारी नौकरी की भी एक सीमा है।