बलरामपुर ज़िला मुख्यालय से मझौली गांव की दूरी क़रीब 50 किलोमीटर है। 29 सितंबर की शाम को 22 वर्षीय दलित समुदाय की छात्रा की कथित तौर पर गैंगरेप के बाद उसे बुरी तरह से मारा-पीटा गया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।मृतक लड़की के भाई की तहरीर पर पुलिस ने दो लोगों को उसी दिन गिरफ़्तार कर लिया और दो लोगों को शुक्रवार गिरफ़्तार किया।
वहीं, परिजनों का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर मामले को दबाने या रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश कर रही है।यही नहीं, परिजनों का यह भी आरोप है कि प्रशासन ने 30 सितंबर को रात नौ बजे ही मृत लड़की का अंतिम संस्कार करने को मजबूर किया।
‘अंतिम संस्कार करने के लिए किया गया मजबूर’
पीड़ित लड़की की मां बताती हैं, “हमें तीन दिन से कहा जा रहा है कि इंतज़ार करो. हम अब एक दिन भी इंतज़ार नहीं करेंगे। हमें तुरंत न्याय चाहिए।”
परिजनों का आरोप है कि जिन लोगों को पुलिस ने पहले दिन गिरफ़्तार किया था, सिर्फ़ वही लोग नहीं बल्कि कुछ अन्य लोग भी इस मामले में दोषी हैं।हालाँकि शुक्रवार शाम परिजनों की आशंका के आधार पर ही पुलिस ने दो अन्य लोगों को भी गिरफ़्तार किया लेकिन वो इतने भर से संतुष्ट नहीं हैं।
पीड़ित लड़की के एक भाई ने बीबीसी को बताया, “हमने घटना के बाद ही थाने जाकर पुलिस को सूचना दी।पुलिस मेरी बहन के शव को रात में ही घर से लेकर थाने चली गई। शव रात भर थाने में रखा रहा. सुबह पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और फिर उसी रात जबरन दाह संस्कार करा दिया।”
हालाँकि पुलिस और प्रशासन इस बात से इनकार कर रहे हैं कि अंतिम संस्कार के लिए परिजनों पर किसी तरह का कोई दबाव बनाया गया।
बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा कहते हैं, “परिजनों ने स्वेच्छा से दाह संस्कार किया और ख़ुद ही किया। किसी का कोई दबाव नहीं था। पुलिस वहां मौजूद ज़रूर थी लेकिन क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से, न कि कोई दबाव बनाने के लिए.”
लेकिन पीड़ित लड़की के घर पर मौजूद उसके नाना जब यह कहने लगते हैं कि पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए हम पर दबाव नहीं बनाया, तो घर के दूसरे सदस्य उनकी बात का कड़ा प्रतिवाद करते हैं।
वो कहते हैं, “दबाव कैसे नहीं बनाया? हम लोग तो सुबह करना चाह रहे थे।उन लोगों ने तुरंत करने पर मजबूर किया। कोतवाल साहब बोले कि अभी अंतिम संस्कार कर लो, आपकी सभी मांगें मान ली जाएंगी।लेकिन हमारी एक भी मांग नहीं मानी गई।असली अभियुक्त तक नहीं पकड़े जा सके।”