हम बात करते है उन तथाकथित सेक्युलर लोगों की जो किसी भी धर्म के त्योहार को अपना बना लेते है इसमें कोई ग़लती भी नही है। पर जब आप अपने धर्म के बारे में कुछ ना जानते हो और दूसरो को भी अपनी तथाकथित सेक्युलर का पाठ पढ़ाते हो तो अपको इतना जरूर पता होना चाहिए की जिस जीसस के नाम पे आप केक और पार्टी कर रहे क्या वो हमारे भीष्म पितामह के त्याग और बलिदान से उपर है क्या हमारे भीष्म पितामह को उस सम्मान का अधिकार नही है।
भीष्म पितामह जैसे त्याग और ज्ञान जीसस में कहाँ है?जीसस को 4 कीलें ठोंकी गई थी और 3 दिन बाद कीलें और सूली से उतारने के बाद होश आया था। वहीं दूसरी ओर भीष्म पितामह जो सैकड़ो तीरों से छलनी होकर भी 58 दिनों तक बाणों की सैया मे पुरे होश मे रहे और आध्यात्म,अमूल्य प्रवचन, और ज्ञान देने के उपरांत अपनी इच्छानुसार मकर संक्रांति को प्राण त्याग दिए।
जब इतने ज्ञानी,त्यागी भीष्म को हमने भगवान नही माना तो फिर जीसस को क्यों मानेये भारत भूमि राम कृष्ण त्याग, समर्पण, आध्यात्म और ज्ञान की भूमि है यह हिन्दुओ की मातृभूमि है।