तनिष्क के बॉयकॉट के द्वारा भगवा झंडे के बैनर तले हिंदू धर्म के इकबाल को बुलंद करते हुए राष्ट्र की धर्मवेदी पर हिंदू समाज ने वो उदाहरण पैबंद किया है जिसकी महीन तुरपाई से समस्त समाज की चदरिया बुनी गई है और उस चदरिया का रंग है भगवा। हिंदुस्तान की हिंदू जनता की सशक्त होती चेतना अब तय करेगी कि बाज़ार के नियम और नियामक हमारी संस्कृति के अनुरूप हैं या नहीं।
तनिष्क ग्रुप के विज्ञापन से जिस तरह अप्रत्यक्ष तौर पर ‘लव जिहाद’ का समर्थन किया गया है और फिर उस पर तनिष्क ने गोलमोल जवाब देते हुए माफी मांगी है उस पर सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं। एक तो चालाकी और उस पर कुटिल सफाई वाली तनिष्क कि इस पद्धति से जनता नाराज चल रही है। मीडिया पर जब से यह खबर प्रकाशित हुई है कि तनिष्क को इस बायकॉट से 2700 करोड़ का नुकसान हुआ है तो ऐसे में जनता इंतजार कर रही है कि जैसे ही त्यौहार का सीजन आएगा तब तनिष्क को इससे भी ज़्यादा नुक़सान का एहसास करवाया जाएगा।
तनिष्क के बॉयकॉट के द्वारा भगवा झंडे के बैनर तले हिंदू धर्म के इकबाल को बुलंद करते हुए राष्ट्र की धर्मवेदी पर हिंदू समाज ने वो उदाहरण पैबंद किया है जिसकी महीन तुरपाई से समस्त समाज की चदरिया बुनी गई है और उस चदरिया का रंग है भगवा। हिंदुस्तान की हिंदू जनता की सशक्त होती चेतना अब तय करेगी कि बाज़ार के नियम और नियामक हमारी संस्कृति के अनुरूप हैं या नहीं। हम किसी भी मज़हब का अपमान नहीं करते ना सनातन धर्म को मानने वाले मानुष ऐसी कोई मंशा रखते हैं, मगर यदि कोई कुटिलता का कांटा लेकर हमारे अंगद पांव में आघात करेगा तो उसका प्रत्युत्तर रणभेरी की गगनभेदी टंकार से किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर जनता कह रही है कि ‘तनिष्क’ के उदाहरण से बाजार को ये समझ लेना चाहिए कि लोहा, प्लास्टिक, कबाड़ खरीदने वाले वर्ग को खुश करने के लिए आप सोना-चांदी खरीदने वालों का गुस्सा मोल नहीं ले सकते हैं और यदि मोल ले भी लिया तो उसका मोल चुकाने के लिए तैयार रहिए।