चीन ने की भविष्यवाणी बोला-2024 में मोदी सरकार की सत्ता में आने की उम्मीदें कम

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पूर्वी लद्दाख में महीनों से जारी चीन की चालबाजी के बाद मोदी सरकार की ऐप बैन की कार्रवाई से ड्रैगन बौखला गया है। चीन ने हाल में आई पहली तिमाही की जीडीपी दर से लेकर विभिन्न मुद्दों पर राग अलापा है। पड़ोसी देश ने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि मोदी सरकार के 2024 में फिर से जीत कर सत्ता में आने की उम्मीदें काफी कम हैं।

चीनी सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने एक लेख लिखकर कहा है कि अप्रैल से जून महीने की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जोकि जी-20 देशों में सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है। हालांकि, यह पूरी दुनिया को मालूम है कि जिस वजह से भारत, अमेरिका समेत कई देशों की जीडीपी में गिरावट आई है, उसके पीछे चीन से विश्वभर में फैला कोरोना वायरस ही है। कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से देश को आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। चीन ने लेख में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इस साल 10 फीसदी की गिरावट की आशंका है। वहीं, लाखों लोग वापस गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं। लेख के अनुसार, 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के तीसरी बार जीतने की उम्मीद कम हो रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में भारतीयों को कारोबार और नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इसके अलावा, भारत में कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है।

विभिन्न स्तरों पर भारत से झटका खा चुके चीन को ऐप्स के बैन किए जाने से भी गहरी चोट पहुंची है। चीन ने कहा, ’15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने 59 चीनी ऐप्स को बैन करने का ऐलान किाय था। इससे, दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को हिला कर रख दिया है। कोरोना वायरस की रोकथाम न कर पाने की वजह से अपनी नाकामी को छिपाने के लिए नई दिल्ली ने चीन के साथ अपने रिश्ते खराब किए। इससे माना जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को और झटका लगेगा।’

चीन ने भड़ास निकालते हुए और क्या लिखा?

‘ग्लोबल टाइम्स’ के लेख में आगे कहा गया कि कुछ साल पहले भारत दुनिया की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में एक था। विकास दर की रफ्तार 7 फीसदी से अधिक थी, लेकिन 2017 के बाद रफ्तार में कमी आनी शुरू हो गई। उदाहरण के तौर पर- पिछले साल अगस्त में कार की सेल में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी, जोकि दो दशकों में सबसे बड़ी गिरावट थी। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के सामने चुनौतियां अब बढ़ती जा रही हैं।