हलाल मीट खाओ या झटका इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट नहीं कर सकता।

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मांस के लिए पशुओं के साथ की जाने वाली क्रूरता के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है।याचिका में खास तौर पर हलाल तरीके से जानवरों को मारे जाने का मसला उठाया गया था। कोर्ट ने याचिका को शरारतपूर्ण कहा।

अखंड भारत मोर्चा नाम के संगठन की तरफ से दाखिल याचिका में जानवरों के साथ क्रूरता का मसला उठाया गया था। कहा गया था कि शाकाहार सबसे उत्तम है। फिर भी मांस का सेवन करना ही हो तो कम से कम जानवरों के साथ क्रूरता नहीं होनी चाहिए। हलाल एक क्रूर तरीका है। इस जैसे सभी तरीकों पर रोक लगनी चाहिए।

जस्टिस संजय किशन कौल और दिनेश माहेश्वरी ने याचिका के मकसद पर सवाल उठाए। उन्होंने याचिका को शरारतपूर्ण कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मसलों पर कोर्ट विचार नहीं करेगा।

कोर्ट ने कहा, “कोर्ट यह तय नहीं करेगा कि लोग शाकाहार करें या मांसाहार। जो हलाल मीट खाना चाहते हैं, वह हलाल खाएं।जो झटका मीट खाने चाहते हैं, वह उसे खाएं। इस पर कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती।”