छात्रों के तमाम कोशिशों और दलीलो को नजरअंदाज करते हुए सरकार ने नीट और जेईई की परीक्षा आगे नहीं बढ़ाया अब परीक्षा अपने तय दिनांक को ही होगी। हर दिन करोना के 75 हजार से ज्यादा केस आ रहे उसके बाद भी यह परीक्षा करवाना कहीं छात्रों की ज़िंदगी को जोखिम में तो नहीं डाला जा रहा। वो उन छात्रों की ज़िंदगी खतरे में डाल रहे जो कल चल कर डॉक्टर या इंजिनियर बनेंगे।
हमारे प्रधानमंत्री जी जब सिर्फ 500 करोना केस आए थे तो बोले थे जान है तो जहान है और आज के समय तक 38 लाख करोना केस आ चुके है। बहुत से राज्य में बाढ आई हुए है यातायात के साधन बहुत कम है ट्रेन चल नई रही टैक्सी वाले मनमाना किराया वसूलेंगे जो छात्र किसी तरह आ जाएंगे और उनके साथ आए हुए उनके अभिभावकों को कितनी परेशानी होगी वो भी तब जब भारत में पूरे विश्व में सबसे ज्यादा करोना के केस आ रहे यह सरकार की जिद नहीं तो और क्या है। इस जिद से लाखों छात्रों की ज़िंदगी दाव पे लग गई है।
एग्जाम प्रबंधक का कहना है हम सारे रूल रेगुलेशन कोविड के पालन करते हुए परीक्षा करवा लेंगे लेकिन यह नहीं बताते अगर किसी एक भी छात्र को करोना हो गया तो उसकी ज़िमेदारी कौन लेगा। हमारे मंत्री बोलते है एडमिट कार्ड 80 प्रतिसत छात्रों ने डाउनलोड कर लिया इसका मतलब वो एग्जाम देना चाहते है कोई उनको ये बताए ये किसी की मर्ज़ी समझने का पैमाना कबसे हो गया अब क्या कोई ये भी नही देख सकता क्या की उसका सेंटर कहा पर है। सरकार को इससे अपनी नाक का सवाल नहीं अपने देश के छात्रों के ज़िंदगी का सवाल समझ के उनको कुछ राहत देनी चाहिए।