पबजी दुनिया भर में मोबाइल पर खेला जाने वाला एक पॉपुलर गेम है। भारत में भी इसके काफ़ी दीवाने हैं। ये गेम एक जापानी थ्रिलर फ़िल्म ‘बैटल रोयाल’ से प्रभावित होकर बनाया गया जिसमें सरकार छात्रों के एक ग्रुप को जबरन मौत से लड़ने भेज देती है। पबजी में क़रीब 100 खिलाड़ी किसी टापू पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं, हथियार खोजते हैं और एक-दूसरे को तब तक मारते रहते हैं जब तक कि उनमें से केवल एक ना बचा रह जाए.
इसे दक्षिण कोरिया की वीडियो गेम कंपनी ब्लूहोल कंपनी ने बनाया है। दक्षिण कोरिया की कंपनी ने इसका डेस्क टॉप वर्जन बनाया था।लेकिन चीन की कंपनी टेनसेंट कुछ बदलाव के साथ इसका मोबाइल वर्जन नए नाम से बाज़ार में लेकर आई।दुनिया में पबजी खेलने वालों में से लगभग 25 फ़ीसद भारत में हैं। चीन में महज़ 17 फ़ीसद यूज़र्स हैं और अमरीका में छह फ़ीसद।
पबजी गेम को एक साथ सौ लोग भी खेल सकते हैं. इसमें आपको नए नए हथियार ख़रीदने के लिए कुछ पैसे भी ख़र्च करने पड़ सकते हैं और कूपन ख़रीदना पड़ सकता है. गेम को इस तरीक़े से बनाया गया है कि जितना आप खेलते जाएंगे उतना ही उसमें मज़ा आएगा, उतना ही आप कूपन और हथियार ख़रीदेंगे, जिससे आपका गेम और बेहतर होता जाएगा. इसमें फ्री रूम भी होता है और इसमें अलग-अलग लेवल होते हैं।एक साथ कई अलग-अलग जगह पर रहने वाले इसे खेल सकते हैं और इसकी एक साथ स्ट्रीमिंग भी होती है. कॉनसोल के साथ भी इसे खेला जाता है।
भारत सरकार के इस फ़ैसले से कुछ बच्चे भले ही नाराज़ हों, लेकिन गेम को खेलने वाले बच्चों के माता-पिता ने इससे सबसे ज़्यादा ख़ुश हैं. पबजी खेलने के बच्चों की लत से सबसे ज़्यादा वही परेशान थे। माता-पिता की परेशानी का आलम ये था कि 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘परीक्षा पर चर्चा’ कर रहे थे तो एक अभिभावक ने उनसे पूछा, “मेरा बेटा 9वीं क्लास में पढ़ता है, पहले वो पढ़ने में बहुत अच्छा था, पिछले कुछ समय से ऑनलाइन गेम्स के प्रति उसका झुकाव ज़्यादा बढ़ गया है. जिसकी वजह से उसकी पढ़ाई पर फ़र्क़ पड़ रहा है. मैं क्या करूं”
सवाल पूरा होने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा पबजी वाला है क्या? प्रधानमंत्री मोदी ने उसी चर्चा में कहा था – ये समस्या भी है और समाधान भी। लेकिन डेढ़ साल बाद इसे समस्या मानते हुए उन्हीं की सरकार ने इसे बैन कर दिया।