उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस ने हाथरस पीड़िता के घर से मीडिया को खदेड़ा कई मीडिया कर्मी जख्मी।

Opinion

एक कहावत है जो आज के समय एकदम सच ही साबित होती है। नेता और पुलिस का कोई भरोसा नहीं ये कभी भी पलट सकते है और आज हमारी क्रांतिकारी मीडिया के साथ ऐसा ही हुआ जो कुछ समय पहले बीजेपी सरकार की पहली पसंद बनी हुई थी। उनके साथ जिस तरह से दुर्व्यवहार हुआ और धक्का मुक्की हुई ऐसा लगता है अब सरकार को वह पसंद नहीं।

एसआईटी टीम के पीड़िता के घर पे जाके पुछताज और वहां के डीएम जो धमकी भरी लफ्जो में पीड़िता के घर वालो को डरा रहे थे तो भारत के लोग ये सब देख और सुन रहे थे। इस तरह का न्यू इंडिया और विश्व गुरु बनके हम क्या कर लगे।

हमारे देश में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा सदियों से चला आ रहा है। ऐसा दिन देखने के लिए क्या लोग बेटी को बचाते और पढ़ाते है। आज जो मीडिया पीड़िता की सबसे बड़ी हितैषी बनी हुए है अगर वो अपना काम सही से करती और पहले ही ग्राउंड रिपोर्टिंग करते तब शायद वो पीड़िता बच गई होती।

सरकार के इस व्यवहार से शायद उनको समझ आ गया हो की सिर्फ सरकार की चापलूसी करने से कोई फायदा नहीं है। आप उनके लिए तभी तक अच्छे जो जबतक आप सिर्फ उनकी गुणगानग  करो।

हाथरस कांड ये उन सबके लिए एक सोचने का विषय है जो आंख बंद करके ये मान बैठे थे की जो हो रहा होने दे हमे इससे क्या। अपनी आत्मा से एक बार सवाल अवश्य करे की आप राजतंत्र में रह रहे की प्रजातंत्र में।